मन स्वतंत्र्य भारत केतनमुनॆत्ति नडुवरा
कटि बिगिंचि रिपुधाटिनि काल राचि निलुवरा ॥

आर्धिक समता घंटिक अल्लदिगो म्रोगॆनुरा
अंदरमॊक कुटुंबमै आनंदमु कनवलॆरा ॥

मतसमैक्यता निनादमे मनकु बलमुरा
गतचरित्र तलचि जगद्~हितमु नेडु कनुमुरा ॥

उदयोज्वल भास्कर किरणोदंचितमुरा नभं
भुवन मानवाभ्युदय विजयमदे मनकु शुभम् ॥