रागं: अमृतवाहिनी
तालं: आदि
पल्लवि
श्री राम पादमा नी कृप चालुने चित्तानिकि रावे
अनुपल्लवि
वारिज भव सनक सनन्दन
वासवादि नारदुलॆल्ल पूजिञ्चे (श्री)
चरनम्
दारिनि शिलयै तापमु तालक
वारमु कन्नीरुनु राल्चग
शूर अहल्यनु जूचि ब्रोचितिवि
आ रीति धन्यु सेयवे त्यागराज गेयमा (श्री)