अथ नवमस्तोत्रम्
अतिमततमोगिरिसमितिविभेदन पितामहभूतिद गुणगणनिलय ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 1॥
विधिभवमुखसुरसततसुवंदितरमामनोवल्लभ भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 2॥
अगणितगुणगणमयशरीर हे विगतगुणेतर भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 3॥
अपरिमितसुखनिधिविमलसुदेह हे विगत सुखेतर भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 4॥
प्रचलितलयजलविहरण शाश्वतसुखमयमीन हे भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 5॥
सुरदितिजसुबलविलुलितमंदरधर पर कूर्म हे भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 6॥
सगिरिवरधरातलवह सुसूकरपरमविबोध हे भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 7॥
अतिबलदितिसुत हृदय विभेदन जयनृहरेऽमल भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 8॥
बलिमुखदितिसुतविजयविनाशन जगदवनाजित भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 9॥
अविजितकुनृपतिसमितिविखंडन रमावर वीरप भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 10॥
खरतरनिशिचरदहन परामृत रघुवर मानद भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 11॥
सुललिततनुवर वरद महाबल यदुवर पार्थप भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 12॥
दितिसुतविमोहन विमलविबोधन परगुणबुद्ध हे भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 13॥
कलिमलहुतवह सुभग महोत्सव शरणद कल्कीश भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 14॥
अखिलजनिविलय परसुखकारण परपुरुषोत्तम भव मम शरणम् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 15॥
इति तव नुतिवरसततरतेर्भव सुशरणमुरुसुखतीर्थमुनेः भगवन् ।
शुभतम कथाशय परमसदोदित जगदेककारण रामरमारमण ॥ 16॥
इति श्रीमदानंदतीर्थभगवत्पादाचार्य विरचितं
द्वादशस्तोत्रेषु नवमस्तोत्रं संपूर्णम्