प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तोमभूषण
जनिभयस्थानतारण जगदवस्थानकारण ।
निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 1 ॥

शुभजगद्रूपमंडन सुरजनत्रासखंडन
शतमखब्रह्मवंदित शतपथब्रह्मनंदित ।
प्रथितविद्वत्सपक्षित भजदहिर्बुध्न्यलक्षित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 2 ॥

निजपदप्रीतसद्गण निरुपथिस्फीतषड्गुण
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव ।
हरिहयद्वेषिदारण हरपुरप्लोषकारण
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 3 ॥

स्फुटतटिज्जालपिंजर पृथुतरज्वालपंजर
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह ।
प्रहरणग्राममंडित परिजनत्राणपंडित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 4 ॥

भुवननेतस्त्रयीमय सवनतेजस्त्रयीमय
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्तेजगन्मय ।
अमितविश्वक्रियामय शमितविश्वग्भयामय
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 5 ॥

महितसंपत्सदक्षर विहितसंपत्षडक्षर
षडरचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्त्वप्रतिष्ठित ।
विविधसंकल्पकल्पक विबुधसंकल्पकल्पक
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 6 ॥

प्रतिमुखालीढबंधुर पृथुमहाहेतिदंतुर
विकटमालापरिष्कृत विविधमायाबहिष्कृत ।
स्थिरमहायंत्रयंत्रित दृढदयातंत्रयंत्रित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 7 ॥

दनुजविस्तारकर्तन दनुजविद्याविकर्तन
जनितमिस्राविकर्तन भजदविद्यानिकर्तन ।
अमरदृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 8 ॥

द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं
पठतां वेंकटनायकप्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन्
न विहन्येत रथांगधुर्यगुप्तः ॥ 9 ॥

इति श्री वेदांताचार्यस्य कृतिषु सुदर्शनाष्टकम् ।