मरुगेलरा ओ राघवा!

मरुगेल – चरा चर रूप
परात्पर सूर्य सुधाकर लोचन

अन्नि नी वनुचु अन्तरङ्गमुन
तिन्नगा वॆदकि तॆलुसुकॊण्टि नय्य
नॆन्नॆ गानि मदिनि ऎन्नजाल नॊरुल
नन्नु ब्रोववय्य त्याग राजनुत