ललितामाता शम्भुप्रिया जगतिकि मूलं नीवम्मा
श्री भुवनेश्वरि अवतारं जगमन्तटिकी आधारम् ॥ 1 ॥

हेरम्बुनिकि मातवुगा हरिहरादुलु सेविम्प
चण्डुनिमुण्डुनि संहारं चामुण्डेश्वरि अवतारम् ॥ 2 ॥

पद्मरेकुल कान्तुललो बालात्रिपुरसुन्दरिगा
हंसवाहनारूढिणिगा वेदमातवै वच्चितिवि ॥ 3 ॥

श्वेतवस्त्रमु धरियिञ्चि अक्षरमालनु पट्टुकॊनि
भक्तिमार्गमु चूपितिवि ज्ञानज्योतिनि निम्पितिवि ॥ 4 ॥

नित्य अन्नदानेश्वरिगा काशीपुरमुन कॊलुवुण्ड
आदिबिक्षुवै वच्चाडु साक्षादापरमेश्वरुडु ॥ 5 ॥

कदम्बवन सञ्चारिणिगा कामेश्वरुनि कलत्रमुगा
कामितार्थ प्रदायिनिगा कञ्चि कामाक्षिवैनावु ॥ 6 ॥

श्रीचक्रराज निलयिनिगा श्रीमत् त्रिपुरसुन्दरिगा
सिरि सम्पदलु इव्वम्मा श्रीमहालक्ष्मिगा रावम्मा ॥ 7 ॥

मणिद्वीपमुन कॊलुवुण्डि महाकालि अवतारमुलो
महिषासुरुनि चम्पितिवि मुल्लोकालनु एलितिवि ॥ 8 ॥

पसिडि वॆन्नॆल कान्तुललो पट्टुवस्त्रपुधारणलो
पारिजातपु मालललो पार्वति देविगा वच्चितिवि ॥ 9 ॥

रक्तवस्त्रमु धरियिञ्चि रणरङ्गमुन प्रवेशिञ्चि
रक्तबीजुनि हतमार्चि रम्यकपर्दिनिवैनावु ॥ 10 ॥

कार्तिकेयुनिकि मातवुगा कात्यायिनिगा करुणिञ्चि
कलियुगमन्ता कापाड कनकदुर्गवै वॆलिसितिवि ॥ 11 ॥

रामलिङ्गेश्वरु राणिविगा रविकुल सोमुनि रमणिविगा
रमा वाणि सेवितगा राजराजेश्वरिवैनावु ॥ 12 ॥

खड्गं शूलं धरियिञ्चि पाशुपतास्त्रमु चेबूनि
शुम्भ निशुम्भुल दुनुमाडि वच्चिन्दि श्रीश्यामलगा ॥ 13 ॥

महामन्त्राधिदेवतगा ललितात्रिपुरसुन्दरिगा
दरिद्र बाधलु तॊलिगिञ्चि महदानन्दमु कलिगिञ्चे ॥ 14 ॥

अर्तत्राण परायणिवे अद्वैतामृत वर्षिणिवे
आदिशङ्कर पूजितवे अपर्णादेवि रावम्मा ॥ 15 ॥

विष्णु पादमुन जनियिञ्चि गङ्गावतारमु ऎत्तितिवि
भागीरथुडु निनु कॊलुव भूलोकानिकि वच्चितिवि ॥ 16 ॥

आशुतोषुनि मॆप्पिञ्चि अर्धशरीरं दाल्चितिवि
आदिप्रकृति रूपिणिगा दर्शनमिच्चॆनु जगदम्बा ॥ 17 ॥

दक्षुनि इण्ट जनियिञ्चि सतीदेविगा चालिञ्चि
अष्टादश पीठेश्वरिगा दर्शनमिच्चॆनु जगदम्बा ॥ 18 ॥

शङ्खु चक्रमु धरियिञ्चि राक्षस संहारमुनु चेसि
लोकरक्षण चेसावु भक्तुल मदिलो निलिचावु ॥ 19 ॥

पराभट्टारिक देवतगा परमशान्त स्वरूपिणिगा
चिरुनव्वुलनु चिन्दिस्तू चॆऋकु गडनु धरयिञ्चितिवि ॥ 20 ॥

पञ्चदशाक्षरि मन्त्राधितगा परमेश्वर परमेश्वरितो
प्रमथगणमुलु कॊलुवुण्ड कैलासम्बे पुलकिञ्चे ॥ 21 ॥

सुरुलु असुरुलु अन्दरुनु शिरसुनु वञ्चि म्रॊक्कङ्गा
माणिक्याल कान्तुलतो नी पादमुलु मॆरिसिनवि ॥ 22 ॥

मूलाधार चक्रमुलो योगिनुलकु आदीश्वरियै
अङ्कुशायुध धारिणिगा भासिल्लॆनु श्री जगदम्बा ॥ 23 ॥

सर्वदेवतल शक्तुलचे सत्य स्वरूपिणि रूपॊन्दि
शङ्खनादमु चेसितिवि सिंहवाहिनिगा वच्चितिवि ॥ 24 ॥

महामेरुवु निलयिनिवि मन्दार कुसुम माललतो
मुनुलन्दरु निनु कॊलवङ्ग मोक्षमार्गमु चूपितिवि ॥ 25 ॥

चिदम्बरेश्वरि नी लील चिद्विलासमे नी सृष्टि
चिद्रूपी परदेवतगा चिरुनव्वुलनु चिन्दिञ्चे ॥ 26 ॥

अम्बा शाम्भवि अवतारं अमृतपानं नी नामं
अद्भुतमैनदि नी महिम अतिसुन्दरमु नी रूपम् ॥ 27 ॥

अम्मलगन्न अम्मवुगा मुग्गुरम्मलकु मूलमुगा
ज्ञानप्रसूना रावम्मा ज्ञानमुनन्दरिकिव्वम्मा ॥ 28 ॥

निष्ठतो निन्ने कॊलिचॆदमु नी पूजलने चेसॆदमु
कष्टमुलन्नी कडतेर्चि कनिकरमुतो ममु कापाडु ॥ 29 ॥

राक्षस बाधलु पडलेक देवतलन्ता प्रार्थिम्प
अभयहस्तमु चूपितिवि अवतारमुलु दाल्चितिवि ॥ 30 ॥

अरुणारुणपु कान्तुललो अग्नि वर्णपु ज्वालललो
असुरुलनन्दरि दुनुमाडि अपराजितवै वच्चितिवि ॥ 31 ॥

गिरिराजुनिकि पुत्रिकगा नन्दनन्दुनि सोदरिगा
भूलोकानिकि वच्चितिवि भक्तुल कोर्कॆलु तीर्चितिवि ॥ 32 ॥

परमेश्वरुनिकि प्रियसतिगा जगमन्तटिकी मातवुगा
अन्दरि सेवलु अन्दुकॊनि अन्तट नीवे निण्डितिवि ॥ 33 ॥

करुणिञ्चम्मा ललितम्मा कापाडम्मा दुर्गम्मा
दर्शनमिय्यग रावम्मा भक्तुल कष्टं तीर्चम्मा ॥ 34 ॥

ए विधमुगा निनु कॊलिचिननु ए पेरुन निनु पिलिचिननु
मातृहृदयवै दयचूपु करुणामूर्तिगा कापाडु ॥ 35 ॥

मल्लॆलु मॊल्ललु तॆच्चितिमि मनसुनु नीके इच्चितिमि
मगुवलमन्ता चेरितिमि नी पारायण चेसितिमि ॥ 36 ॥

त्रिमातृरूपा ललितम्मा सृष्टि स्थिति लयकारिणिवि
नी नाममुलु ऎन्नॆन्नो लॆक्किञ्चुट मा तरमवुना ॥ 37 ॥

आश्रितुलन्दरु रारण्डि अम्मरूपमु चूडण्डि
अम्मकु नीराजनमिच्चि अम्म दीवॆन पॊन्दुदमु ॥ 38 ॥

सदाचार सम्पन्नवुगा सामगान प्रियलोलिनिवि
सदाशिव कुटुम्बिनिवि सौभाग्यमिच्चे देवतवु ॥ 39 ॥

मङ्गलगौरी रूपमुनु मनसुल निण्डा निम्पण्डि
महादेविकि मनमन्ता मङ्गल हारतुलिद्दामु ॥ 40 ॥