अन्नमय्य कीर्तन अन्नि मन्त्रमुलु
रागं: अमृतवर्षिणिआ: स ग3 म2 प नि3 सअव: स नि3 प म2 ग3 सतालं: आदि पल्लविअन्नि मन्त्रमुलु निन्दे आवहिञ्चॆनुवॆन्नतो नाकु गलिगॆ वेङ्कटेशु मन्त्रमु ॥ (2.5) चरणं 1नारदुण्डु जपियिञ्चॆ नारायण मन्त्रमुचेरॆ प्रह्लादुडु नारसिंह मन्त्रमु ।…
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