कर्णाटक सङ्गीतं स्वरजति 1 (रार वेणु गोप बाला)

रागम्: बिलहरि (मेलकर्त 29, धीर शङ्कराभरणं जन्यराग)स्वर स्थानाः: षड्जम्, शुद्ध ऋषभम्, शुद्ध मध्यमम्, पञ्चमम्, शुद्ध धैवतम्आरोहण: स . रि2 . ग3 . . प . द2 . . स’अवरोहण: स’ नि3 . द2 .…

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