श्री रघुवीर गद्यम् (श्री महावीर वैभवम्)
श्रीमान्वेङ्कटनाथार्य कवितार्किक केसरि ।वेदान्ताचार्यवर्योमे सन्निधत्तां सदाहृदि ॥ जयत्याश्रित सन्त्रास ध्वान्त विध्वंसनोदयः ।प्रभावान् सीतया देव्या परमव्योम भास्करः ॥ जय जय महावीर महाधीर धौरेय,देवासुर समर समय समुदित निखिल निर्जर निर्धारित निरवधिक माहात्म्य,दशवदन…
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