ऐकमत्य सूक्तम् (ऋग्वेद)
(ऋग्वेदे अंतिमं सूक्तं) ॐ संस॒मिद्युवसे वृष॒न्नग्ने॒ विश्वा᳚न्य॒र्य आ ।इ॒लस्प॒दे समि॑ध्यसे॒ स नो॒ वसू॒न्याभर ॥ संग॑च्छध्वं॒ संवँदध्वं॒ सं-वोँ॒ मनां᳚सि जानताम् ।दे॒वा भा॒गं-यँथा॒ पूर्वे᳚ संजाना॒ना उ॒पासते ॥ स॒मा॒नो मंत्रः॒ समितिः समा॒नी समा॒नं…
Read more