रागम्: श्री (मेलकर्त 22 खरहरप्रिय जन्यराग)
आरोहण: स रि2 म1 प नि2 स
अवरोहण: स नि2 प द2 नि2 प म1 रि2 ग2 रि2 स

तालम्: आदि
रूपकर्त: पुरंधर दास
भाषा: कन्नड

पल्लवि
भाग्यदा लक्ष्मी बारम्मा
नम्मम्म श्री सौ (भाग्यदा लक्ष्मी बारम्मा)

चरणं 1
हॆज्जॆयॆ मेलॊंद् हॆज्जॆय निक्कुत (हॆज्जॆयॆ मेले हॆज्जॆ निक्कुत)
गज्जॆ काल्गला ध्वनिया तोरुत (माडुत)
सज्जन साधू पूजॆयॆ वेलॆगॆ मज्जिगॆयॊलगिन बॆण्णॆयंतॆ ॥
(भाग्यदा)

चरणं 2
कनकावृष्टिय करॆयुत बारे मनकामनॆया सिद्धिय तोरॆ ।
दिनकरकोटी तेजदि हॊलॆयुव जनकरायना कुमारि बेग ॥
(भाग्यदा)

चरणं 3
अत्तित्तगलदॆ भक्तर मनॆयॊलु नित्य महोत्सव नित्य सुमंगल ।
सत्यव तोरुत साधु सज्जनर चित्तदि हॊलॆयुव पुत्थलि बॊंबॆ ॥
(भाग्यदा)

चरणं 4
संख्ये इल्लदे भाग्यव कॊट्टु कंकण कय्या तिरुवुत बारे ।
कुंकुमांकिते पंकज लोचनॆ वेंकट रमणन बिंकदराणी ॥
(भाग्यदा)

चरणं 5
चक्कॆर तुप्पद कालुवॆहरिसि शुक्र वारदा पूजयॆ वेलॆगॆ ।
अक्कॆरयुन्न अलगिरि रंग चॊक्क पुरंदर विठन राणी ॥
(भाग्यदा)