जातिकि ऊपिरि स्वातंत्र्यं, अदि ज्योतिग वॆलिगे चैतन्यं
आ चैतन्यं निलिचिन नाडे समस्त जगतिकि सौभाग्यम् ॥
शिखरंला , प्रति मनिषी, शिरसॆत्तिन नाडे,
जलनिधिला प्रति हृदयं अललॆत्तिन नाडे,
मानव जीवन गमनंलो मायनि वॆलुगुल महोदयम् ॥
ऎप्पटि ऎप्पटि रुचिरस्वप्नं, ई स्वातंत्र्यं
ऎंदरि ऎंदरि त्याग फलं, ई स्वातंत्र्यं
अंदक अंदक अंदिन फलमुनु अंदरिकी अंदिव्वंडि ॥
स्वराज्य सिद्धिकि लक्ष्यमेमिटो स्मरिंचुकोंडि
जाति विधात विनूत्न फलालनु साधिंचंडि
समस्यलन्नी परिष्करिंचे सौम्य मार्गं चूपंडि ॥
कलतलु कक्षलु रेपॊद्दु ए कुलं पेरुतो
मारण होमं जरपॊद्दु ए मतं मुसुगुलो
समैक्य भारत सौधाग्रं पै, शांति दीपं निलपंडि ॥