ॐ ह्रौं क्ष्रौं ग्लौं हुं ह्सौं ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते प्रकट पराक्रमाक्रांत सकलदिङ्मंडलाय, निजकीर्ति स्फूर्तिधावल्य वितानायमान जगत्त्रितयाय, अतुलबलैश्वर्य रुद्रावताराय, मैरावण मदवारण गर्व निर्वापणोत्कंठ कंठीरवाय, ब्रह्मास्त्रगर्व सर्वंकषाय, वज्रशरीराय, लंकालंकारहारिणे, तृणीकृतार्णवलंघनाय, अक्षशिक्षण विचक्षणाय, दशग्रीव गर्वपर्वतोत्पाटनाय, लक्ष्मण प्राणदायिने, सीतामनोल्लासकराय, राममानस चकोरामृतकराय, मणिकुंडलमंडित गंडस्थलाय, मंदहासोज्ज्वलन्मुखारविंदाय, मौंजी कौपीन विराजत्कटितटाय, कनकयज्ञोपवीताय, दुर्वार वारकीलित लंबशिखाय, तटित्कोटि समुज्ज्वल पीतांबरालंकृताय, तप्त जांबूनदप्रभाभासुर रम्य दिव्यमंगल विग्रहाय, मणिमयग्रैवेयांगद हारकिंकिणी किरीटोदारमूर्तये, रक्तपंकेरुहाक्षाय, त्रिपंचनयन स्फुरत्पंचवक्त्र खट्वांग त्रिशूल खड्गोग्र पाशांकुश क्ष्माधर भूरुह कौमोदकी कपाल हलभृद्दशभुजाटोपप्रताप भूषणाय, वानर नृसिंह तार्क्ष्य वराह हयग्रीवानन धराय, निरंकुश वाग्वैभवप्रदाय, तत्त्वज्ञानदायिने, सर्वोत्कृष्ट फलप्रदाय, सुकुमार ब्रह्मचारिणे, भरत प्राणसंरक्षणाय, गंभीरशब्दशालिने, सर्वपापविनाशाय, राम सुग्रीव संधान चातुर्य प्रभावाय, सुग्रीवाह्लादकारिणे, वालि विनाशकारणाय, रुद्रतेजस्विने वायुनंदनाय, अंजनागर्भरत्नाकरामृतकराय, निरंतर रामचंद्रपादारविंद मकरंद मत्त मधुरकरायमाण मानसाय, निजवाल वलयीकृत कपिसैन्य प्राकाराय, सकल जगन्मोदकोत्कृष्टकार्य निर्वाहकाय, केसरीनंदनाय, कपिकुंजराय, भविष्यद्ब्रह्मणे, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते तेजोराशे एह्येहि देवभयं असुरभयं गंधर्वभयं यक्षभयं ब्रह्मराक्षसभयं भूतभयं प्रेतभयं पिशाचभयं विद्रावय विद्रावय, राजभयं चोरभयं शत्रुभयं सर्पभयं वृश्चिकभयं मृगभयं पक्षिभयं क्रिमिभयं कीटकभयं खादय खादय, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते जगदाश्चर्यकर शौर्यशालिने एह्येहि श्रवणजभूतानां दृष्टिजभूतानां शाकिनी ढाकिनी कामिनी मोहिनीनां भेताल ब्रह्मराक्षस सकल कूश्मांडानां विषयदुष्टानां विषमविशेषजानां भयं हर हर मथ मथ भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय प्रहारय प्रहारय, ठठठठ खखखख खेखे ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते शृंखलाबंध विमोचनाय उमामहेश्वर तेजो महिमावतार सर्वविषभेदन सर्वभयोत्पाटन सर्वज्वरच्छेदन सर्वभयभंजन, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते कबलीकृतार्कमंडल भूतमंडल प्रेतमंडल पिशाचमंडलान्निर्घाटय निर्घाटाय भूतज्वर प्रेतज्वर पिशाचज्वर माहेश्वरज्वर भेतालज्वर ब्रह्मराक्षसज्वर ऐकाहिकज्वर द्व्याहिकज्वर त्र्याहिकज्वर चातुर्थिकज्वर पांचरात्रिकज्वर विषमज्वर दोषज्वर ब्रह्मराक्षसज्वर भेतालपाश महानागकुलविषं निर्विषं कुरु कुरु झट झट दह दह, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते कालरुद्र रौद्रावतार सर्वग्रहानुच्चाटयोच्चाटय आह आह एहि एहि दशदिशो बंध बंध सर्वतो रक्ष रक्ष सर्वशत्रून् कंपय कंपय मारय मारय दाहय दाहय कबलय कबलय सर्वजनानावेशय आवेशय मोहय मोहय आकर्षय आकर्षय, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते जगद्गीतकीर्तये प्रत्यर्थिदर्प दलनाय परमंत्रदर्प दलनाय परमंत्रप्राणनाशाय आत्ममंत्र परिरक्षणाय परबलं खादय खादय क्षोभय क्षोभय हारय हारय त्वद्भक्त मनोरथानि पूरय पूरय सकलसंजीविनीनायक वरं मे दापय दापय, ॐ नमो भगवते पंचवक्त्र हनूमते ॐ ह्रौं क्ष्रौं ग्लौं हुं ह्सौं श्रीं भ्रीं घ्रीं ॐ न्रूं क्लीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हुं फट् खे खे हुं फट् स्वाहा ।
इति श्री पंचमुख हनुमन्माला मंत्रम् ॥