रागम्: मलहरि (मेलकर्त 15, मायामालव गौल जन्यराग)
स्वर स्थानाः: षड्जम्, शुद्ध ऋषभम्, शुद्ध मध्यमम्, पञ्चमम्, शुद्ध धैवतम्
आरोहण: स रि1 . . . म1 . प द1 . . . स’
अवरोहण: स’ . . . द1 प . म1 ग3 . . रि1 स
तालम्: चतुस्र जाति रूपक तालम्
अङ्गाः: 1 धृतम् (2 काल) + 1 लघु (4 काल)
रूपकर्त: पुरन्धर दास
भाषा: कन्नड
साहित्यम्
पल्लवि
मन्दर कुसुमाकर
मकरन्दं वासितुवा
चरणं 1
कुन्दगौर गॊव्रिवर
मन्दिराय मानमकुट
(मन्दर)
चरणं 2
हेमकूट सिंहासन
विरूपाक्श करुणाकर
(मन्दर)
चरणं 3
चन्दमाम मन्दाकिनि
मन्दिराय मानमकुट
(मन्दर)
स्वराः
चरणं 1
द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ | रि | म | । | प | द | म | प | ॥ |
कुं | द | । | गौ | – | – | र | ॥ | गौ | – | । | री | – | व | र | ॥ |
द | रि’ | । | रि’ | स’ | द | प | ॥ | द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ |
मं | दि | । | रा | – | – | य | ॥ | मा | – | । | न | म | कु | ट | ॥ |
पल्लवि
स | , | । | रि | , | रि | , | ॥ | द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ |
मं | – | । | दा | – | र | – | ॥ | कु | सु | । | मा | – | क | र | ॥ |
स | रि | । | म | , | ग | रि | ॥ | स | रि | । | ग | रि | स | , | ॥ |
म | क | । | रं | – | दं | – | ॥ | वा | – | । | सि | तु | वा | – | ॥ |
चरणं 2
द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ | रि | म | । | प | द | म | प | ॥ |
हे | – | । | म | कू | – | ट | ॥ | सिं | – | । | हा | – | स | न | ॥ |
द | रि’ | । | रि’ | स’ | द | प | ॥ | द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ |
वि | रू | । | पा | – | – | क्ष | ॥ | क | रु | । | णा | – | क | र | ॥ |
(मन्दर)
चरणं 3
द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ | रि | म | । | प | द | म | प | ॥ |
चं | ड | । | मा | – | – | म | ॥ | मं | – | । | दा | – | कि | नि | ॥ |
द | रि’ | । | रि’ | स’ | द | प | ॥ | द | प | । | म | ग | रि | स | ॥ |
मं | डि | । | रा | – | – | य | ॥ | मा | – | । | न | म | कु | ट | ॥ |
(मन्दर)