रागम्: मोहनम् (मेलकर्त 28, हरिकाम्भोजि जन्यरागम्)स्वर स्थानाः: षड्जम्, चतुश्रुति ऋषभम्, अन्तर गान्धारम्, पञ्चमम्, चतुश्रुति धैवतम्आरोहण: स . रि2 . ग3 . . प . द2 . . स’अवरोहण: स’ . . द2 . प . . ग3 . रि2 . सतालम्: चतुस्र जाति रूपक तालम्अङ्गाः: 1 धृतम् (2 काल) + 1 लघु (4 काल)रूपकर्त: अप्पय्य दीक्षितार्भाषा: संस्कृतम्साहित्यम् वर वीणा मृदु पाणि वन रुह लोचन राणी सुरुचिर बम्बर वेणी सुरनुत कल्याणी निरुपम शुभगुण लोला निरत जयाप्रद शीला वरदाप्रिय रङ्गनायकि वाञ्छित फल दायकि सरसीजासन जननी जय जय जय (वर वीणा)स्वराः
ग ग । प , प , ॥ द प । स’ , स’ , ॥ व र । वी – णा – ॥ मृ दु ॥ पा – णि – ॥
रि’ स । द द प , ॥ द प । ग ग रि , ॥ व न । रु ह लो – ॥ च न । रा – णी – ॥
ग प । द स’ द , ॥ द प । ग ग रि , ॥ सु रु । चि र बं – ॥ ब र । वे – णी – ॥
ग ग । द प ग , ॥ प ग । ग रि स , ॥ सु र । नु त कल् – ॥ या – ॥ – – णी – ॥
ग ग । ग ग रि ग ॥ प ग । प , प , ॥ नि रु । प म शु भ ॥ गु ण ॥ लो – ला – ॥
ग ग । द प द , ॥ द प । स’ , स’ , ॥ नि र । त ज या – ॥ प्र द । शी – ला – ॥
द ग’ । रि’ रि’ स’ स’ ॥ द स’ । द द द प ॥ व र । दा – प्रि य ॥ रं ग । ना – य कि ॥
ग प । द स’ द प ॥ द प । ग ग रि स ॥ वां – । छि त फ ल ॥ दा – । – – य कि ॥
स ग । ग , ग , ॥ ग रि । प ग रि . ॥ स र । सि – जा – ॥ स न । ज न नी – ॥
स रि । स ग रि स ॥ ज य । ज य ज य ॥